महामारी के दौरान मानवाधिकारों के लिए जीवन का जोखिम

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तस्वीर विवरण: खदान सुरक्षाधिकारी की गोलीबारी से एक शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी के शिकार होने के बाद थाईलैंड में मार्च करते हुए मानवाधिकार रक्षक (जनवरी 2021)।


मानवाधिकार रक्षकों (Human Rights Defenders या HRD) को विश्व भर में भाँति-भाँति के खतरों तथा आशंकाओं—योजना बनाकर कीचड़ उछालने व उत्पीड़न से लेकर मनमानी कैद, अपहरण और हत्याओं तक का सामना करना पड़ता रहा है। हालाँकि, कोविड-19 के प्रकोप ने इस काम की स्थितियों को और बिगाड़ दिया है, जो मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से पहले से ही अत्यधिक दुष्कर रहा है।

 अग्रिम पंक्ति के रक्षकों की सबसे हालिया वार्षिक रिपोर्ट में दिया है कि 2020 में कम से कम 331 मानवाधिकार रक्षकों की हत्या कर दी गई (2019 की तुलना में 8.8 % वृद्धि)।

हालाँकि अत्यधिक छुतहा वायरस के फैलाव को रोकने के लिए कतिपय प्रतिबंध आवश्यक हैं, किंतु जब पूरा विश्व लॉकडाउन की जकड़ में था, तो भी जिन कार्यकर्ताओं ने अपने काम को रोकने से इनकार कर दिया, उनकी मूलभूत स्वतंत्रता पर  जानबूझकर मनमाने तरीके से कठोर पाबंदियाँ लगाई गई हैं।

हम जिन मानवाधिकार रक्षकों (HRD) के साथ काम करते हैं, उन पर कोविड- 19 के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए प्रोटेक्शन इंटरनेशनल (PI) ने महामारी की शुरुआत में ही संगठन-व्यापी सर्वेक्षणों के माध्यम से अनुसंधान शुरु कर दिया। PI प्रमुख रूप से 11 देशों—ग्वाटेमाला, होंडूरस, अल सल्वाडोर, निकारगुआ, कोलंबिया, ब्राजील, कांगो लोकतांत्रिक गणतंत्र, केन्या, तंजानिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया में कार्य करता है। हमारी जाँच के परिणाम उन बातों की पुष्टि कर रहे हैं, जिनके घटित होने की अनेक मानवाधिकार अभ्यासियों ने आशंका प्रकट की थी: HRD पर जन स्वास्थ्य उपायों का हथियारों के रूप में प्रयोग किया जा रहा है; भौतिक व डिजिटल धमकियों और हमलों में वृद्धि हुई है; व्यावसायिक हितों को लगातार मानवाधिकारों से अधिक महत्व मिल रहा है; इस आपातकाल के बीच राजनीतिक बंदियों को लगातार कैद और नजरअंदाज किया जा रहा है; तथा मानवाधिकारों की रक्षा के अधिकार को गंभीर खतरा है।

लॉकडाउन शुरु होने के एक महीने बाद ही, हमारे कर्मियों ने यह सूचना दी कि जन स्वास्थ्य संकट ने मौजूदा चुनौतियों को बड़ी तेजी से और गंभीर बना दिया है--भौतिक व डिजिटल निगरानी में वृद्धि, अपराधीकरण में वृद्धि, अवैध कैद और मनमानी गिरफ्तारियाँ आदि। महिला HRD पर हिंसा सहित लिंग-आधारित हिंसा की दरें आसमान छूने लगीं तथा महिलाओं पर परिवार की देखभाल का बोझ, जो पहले से ही काफी अधिक था, और बढ़ गया। जोखिम-मापी का काँटा धीरे-धीरे नहीं चढ़ा; बल्कि HRD ने फौरन ही इस झटके को महसूस किया।

सबसे पहले, हम लोग सर्वाधिक चिंताजनक और व्यापक प्रवृत्ति पर चर्चा करेंगे: सरकार द्वारा कोविड-19 प्रतिबंधों का अपने ही नागरिकों पर हथियार के रूप में प्रयोग।

संकटकाल में, सरकारें आपातकालीन उपायों को क्रियान्वित करने के लिए अधिकांशतः विधि प्रवर्तन एजेंसियों का ही सहारा लेती हैं तथा सरकारी आदेशों का गलत अर्थ निकालने या कभी-कभार जानबूझकर दिए गए कठोर निर्देशों के चलते HRD और पत्रकारों को प्रायः उनके निर्दय व्यवहार की चोट झेलनी पड़ती है। लगभग सभी PI टीमों ने सूचना दी कि बंदी के उपायों के चलते मानवाधिकार रक्षकों की निगरानी बढ़ गई है।

उदाहरण के लिए, ग्वाटेमाला में हमारे एक कर्मी ने एक अजीब बात बताई कि उसके घर के बाहर पुलिस लगातार मौजूद रहा करती थी। कोलंबिया में, हमारी टीम ने सूचना दी है कि मानवाधिकार रक्षकों को अधिक धमकियाँ मिल रही हैं और उनकी गतिविधियों को लेकर आशंका बढ़ गई है क्योंकि वायरस का फैलाव नियंत्रित करने की जरूरत की आड़ में दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारियों को सरकार क्षमा कर देती है।

महामारी की शुरुआत से ठीक पहले, अनेक सरकारों ने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि बंदी के आदेशों से प्रेस को मुक्त रखना चाहिए। एक वर्ष बाद, वायरस या सरकार की प्रतिक्रिया के प्रभावी होने से जुड़ी गलत या भ्रामक सूचना फैलाने की आड़ लेकर पत्रकारों और असंतुष्ट लोगों को लगातार निशाना बनाया, बदनाम किया जा रहा और सेंसर किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, तंजानिया में पूर्व राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली ने फरवरी 2021 तक इस बात को स्वीकार ही नहीं किया था कि कोविड-19 चिंता का विषय है और स्वतंत्र अखबारों के दो संपादकों ने कहा कि “अधिकारियों ने अनौपचारिक तौर पर उनसे यह कहा था कि सरकार को पसंद न आने वाली सामग्री को वे प्रकाशित न करें।”

ब्राजील को भी ऐसे ही दुर्भाग्य का सामना करना पड़ा है। राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने महामारी के औचित्य को मानने से इनकार कर दिया है और ‘रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स’ ने स्पष्ट किया है कि “स्वास्थ्य संकट के अपने अनर्थकारी प्रबंधन से ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने प्रेस पर यह आरोप [लगा दिया] कि प्रेस के चलते ही देश अव्यवस्था का सामना कर रहा है”। जो प्रशासक महामारी के प्रभावों के लिए पत्रकारों और मानवाधिकार रक्षकों पर निराधार आरोप लगा रहे हैं और उन्हें पूर्ण रूप से दोषी ठहरा रहे हैं, वे निःसंदेह उन पर होने वाली हिंसा को बढ़ाने में योगदान कर रहे हैं।

लैटिन अमेरिका ऐतिहासिक रूप से HRD की सर्वाधिक हत्याओं वाला क्षेत्र रहा है और महामारी वाला यह वर्ष भी इसका अपवाद नहीं रहा है। कोलंबिया का मामला विशेष रूप से हताशाजनक है क्योंकि यह न केवल HRD के लिए विश्व भर में लगातार सबसे खतरनाक देश बना हुआ है, बल्कि महामारी के दौरान हिंसा और नरसंहार में हुई वृद्धि के जवाब में यहाँ की सरकार ने “सैन्यीकरण” तकनीकों का भी प्रयोग किया है। सख्त बंदी ने संरक्षण नेटवर्कों, मार्गों और साथियों तक मानवाधिकार रक्षकों की पहुँच को सीमित किया है। जिन लोगों की इंटरनेट तक सीमित पहुँच है या कोई पहुँच नहीं है, उन पर यह बात विशेष रूप से लागू होती है। हथियारबंद समूहों ने मानवाधिकार रक्षकों को और आसानी से खोजने व उनकी हत्या करने के लिए बंदी के उपायों का लाभ उठाया है। Somos Defensores (सोमोस डिफेंसर्स) ने सूचना दी है कि 2019 की पहली तिमाही की तुलना में 2020 की पहली तिमाही के दौरान मानवाधिकार रक्षकों की हत्याओं में 61% वृद्धि हुई है। विकास व शांति अध्ययन संस्थान (INDEPAZ) के अनुसार, 25 मार्च 2020 को प्रारंभिक लॉकडाउन शुरु होने के बाद से कोलंबिया में कम से कम 308 HRD और सामाजिक नेताओं की हत्या हो चुकी है (2021 में 83 सहित)। कोलंबिया के अनेक HRD ने शरण लेने के लिए अस्थायी स्थान-परिवर्तन कार्यक्रमों का सहारा लिया है, किंतु महामारी की शुरुआत से ठीक पहले यात्रा प्रतिबंधों के चलते इनमें से अनेक कार्यक्रम निलंबित कर दिए गए। आपातकाल में जगह खाली करने के कार्यक्रमों का समन्वयन जैसे ही पुनः शुरु हुआ, मानवाधिकार रक्षकों के विस्थापन के मामले में कोलंबिया 2020 में शीर्ष पर चला गया।

‘प्रोटेक्शन इंटरनेशनल कोलंबिया’ प्रमुख रूप से देश के पूर्व में स्थित ओरिनोक्विया क्षेत्र के मूलनिवासी समुदायों के साथ कार्य करता रहा है। आपातकालीन प्रतिक्रिया और राहत के प्रयासों की दृष्टि से इस क्षेत्र की लगातार भयंकर उपेक्षा हो रही है। अनेक मूलनिवासी HRD को स्वास्थ्य व खाद्य आपूर्ति जैसी मूलभूत जरूरतों को लेकर चिंता करनी पड़ रही है, जिससे बाध्य होकर मानवाधिकार रक्षकों को उनकी जमीन और पर्यावरण के संरक्षण संबंधी गतिविधियों पर ध्यान देना पड़ रहा है। घूमने-फिरने संबंधी प्रतिबंधों और फोन उपयोग करने के अवसरों के अभाव का ग्रामीण HRD, विशेषकर महिलाओं पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ा है। कोलंबिया में PI की प्रतिनिधि एडा पेस्केरा ने स्पष्ट किया है “महिलाओं के कंधों पर घर-परिवार की देखभाल का बड़ा बोझ पहले से ही रहा है, लेकिन अब उसमें अतिशय वृद्धि हुई है। यही नहीं, घरेलू हिंसा का खतरा अब उनके लिए बढ़ा है और इससे बचने का उनके पास कोई उपाय नहीं है, क्योंकि घर में यदि कोई मोबाइल फोन है, तो वह सामान्यतया घर के पुरुष के पास रहता है। इन सबके कारण मानवाधिकार रक्षकों को मानवाधिकार संबंधी अपना कार्य करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।”

प्रोटेक्शन इंटरनेशनल स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर मोबाइल डेटा प्रदान करने का कार्य कर रहा है, ताकि मानवाधिकार रक्षक अपने संरक्षण नेटवर्कों के साथ संपर्क रख सकें, इंटरनेट तक समुदायों की पहुँच को सुलभ बनाकर उन्हें सहायता प्रदान कर सकें तथा परंपरागत स्व-संरक्षण उपायों को जारी रख सकें। पेस्केरा ने बताया “हम उन्हें ऐसे स्थान पर जाने में सहायता करते हैं, जहाँ पर वे निरापद रूप से मोबाइल का उपयोग कर सकें तथा हम संरक्षण को लेकर हर सप्ताह आभासी वर्कशॉप आयोजित करते हैं। हम शिक्षाप्रद सामग्री भी प्रदान करते हैं, जिसका वे सत्रों के बीच में स्वायत्त रूप से उपयोग कर सकते हैं।”

कोलंबिया और ब्राजील के मूलनिवासी समूहों पर महामारी का सबसे बुरा प्रकोप हुआ था, लेकिन इसके बावजूद टीका लगाने के लिए प्राथमिकता-प्राप्त समूहों की सूची में अभी तक उनका नाम नहीं है। यह अलग बात है कि टीकाकरण अभियान आधिकारिक रूप से प्रारंभ हो चुका है।

तस्वीर विवरण: कोलंबिया के ग्रामीण इलाके की महिला भित्तिचित्र के पास खड़ी है (2019)।

जब से हमने डेटा का संग्रह शुरु किया है, तब से ये समस्याएँ लगातार बनी हुई हैं, बल्कि समय के साथ और विकराल ही हुई हैं। हालाँकि निकट भविष्य में कुछ लोगों को टीका लग जाने की आशा है, लेकिन वास्तविकता यही है कि अनेक HRD टीका लगाने की राष्ट्रीय प्राथमिकता सूचियों में शीर्ष पर बिल्कुल भी नहीं हैं। हम आशा करते हैं कि कम से कम 2021 के शेष हिस्से तक HRD ऊपर सूचीबद्ध बाधाओं का मुकाबला करते हुए काम करते रहेंगे।

मानवाधिकार समूह पिछले मार्च से ही चिल्ला-चिल्लाकर यह कह रहे हैं, किंतु अभी तक ऐसा पड़ाव नहीं आया है कि हम लोग इसे दुहराना बंद कर सकें: मूलभूत अधिकारों और स्वतंत्रता में अनुचित कटौती करने के एक बहाने के रूप में महामारी का उपयोग नहीं किया जा सकता। मानवाधिकारों की रक्षा के अधिकार में खुलेआम बाधा डालने के लिए सरकारों को माफ करने की कोई वजह नहीं है। एक वर्ष बाद, मानवाधिकारों के संरक्षण और उनका समर्थन करने के लिए हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लगातार गुहार लगा रहे हैं, विशेषकर इस संकट काल में क्योंकि मानवाधिकारों के जर्जर होने का जोखिम इस समय सबसे अधिक है। हममें से अनेक लोगों ने इस “नवीन सामान्य” के दस्तूर को अपना लिया है, किंतु इन दुरुपयोगों का सामान्यीकरण खतरनाक बात है। हमें आवाज उठाते रहना चाहिए। हम विश्व भर की सरकारों से गुहार लगाते हैं कि वे मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें तथा उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और मानवाधिकारों की रक्षा के अधिकार (भले ही आवश्यक व यथोचित प्रतिबंधों की परिधि के भीतर ही) की गारंटी दें।